14. गॉल प्रक्षेप (Gall’s Projection)
14. गॉल प्रक्षेप (Gall’s Projection)
गॉल प्रक्षेप⇒
⇒ गॉल एक संशोधित बेलनाकार प्रक्षेप है।
⇒ इसे गॉल का त्रिविम प्रक्षेप भी कहते हैं क्योंकि इसमें प्रकाश के स्रोत विषुवत रेखा के ठीक 180० पर रहता है।
⇒ गॉल प्रक्षेप में समतल कागज का खोखला बेलन इस प्रकार रखा जाता है कि ग्लोब के 45ºN और 45°S अक्षांश को एक साथ काटता है। अतः इसमें भूमध्यरेखा की लम्बाई पृथ्वी की 45º अक्षांश रेखा के बराबर बनायी जाती है।
⇒ गॉल प्रक्षेप में अक्षांश वृत की लम्बाई एक समान, सीधी एवं समानान्तर होती है।
⇒ प्रत्येक अक्षांश रेखाओं की लम्बाई 45º अक्षांश वृत्त के लम्बाई (2πR Cos45०) के बराबर होती है।
⇒ भूमध्यरेखा से ध्रुव की ओर जाने पर अक्षांश रेखाओं के बीच की दूरी बढती है, लेकिन मर्केटर प्रक्षेप के तुलना में कम बढ़ती है।
⇒ सभी अक्षांश रेखाओं की लम्बाई 45° अक्षांश रेखा के बराबर होती है।
⇒ सभी देशान्तर रेखाएँ सीधी और समानान्तर होती हैं।
⇒ देशान्तर और अक्षांश रेखाएँ एक-दूसरे के समकोण पर काटती है।
⇒ केवल 45ºN से 45ºS अक्षांश पर मापनी शुद्ध होती है।
⇒ 45º अक्षांश से विषुवत रेखा की ओर जाने पर मापनी छोटी और ध्रुव की ओर जाने पर मापनी बढ़ी हुई होती है।
⇒ गॉल प्रक्षेप पर आकृति, क्षेत्रफल और दिशा तीनों अशुद्ध होती है।
⇒ गॉल प्रक्षेप पर राजनीतिक मानचित्र या दीवारी मानचित्र का निर्माण विशेष तौर पर किया जाता है।
उदाहरण 1. विश्व का मानचित्र बनाने के लिए एक गॉल्स प्रक्षेप की रचना कीजिए जिसकी मापनी 1 : 250000000 तथा प्रक्षेपान्तर 15० हो।
रचना विधि-
(i) मापनी के अनुसार आंकलित ग्लोब का अर्द्धव्यास, अर्थात
RR = 250000000/2500000000
= 1″
(ii) 45º अक्षांश वृत्त की लम्बाई = 2πR Cos45०
= 2× 22/7 × 1″ x 0.71
= 4.46″
(iii) Interval Distance (अन्तरालीय दूरी)
= 45º अक्षांश वृत्त की लम्बाई x Interval ÷ 360
= 4.46″ x 15 ÷ 360
= 4.46″ / 24
= .186″
RF के अनुसार Reduce Radius (RR) = 1″ पर वृत्त NESQ खींचा। केन्द्र O से EQ पर क्रमशः 15°, 30°, 45°, 60°, 75° के कोण बनाती हुई रेखाएं खींची। 45° की रेखा तथा परिधि के कटाव बिन्दु से ध्रुवीय अक्ष से समानान्तर रेखा खींची। सभी अक्षांशों व परिधि व कटान बिन्दु से E को मिलाया। ये रेखाएं अथवा इनके बढ़ाये हुए भाग जहाँ अक्ष के समानांतर खींची गई रेखा से मिलते हैं वह विषुवत रेखा से अक्षांशों की दूरी हुई।
अतः विषुव अक्ष EQ को आगे बढ़ाया तथा 45° की रेखा पर अन्तरालीय दूरी (.186″) के अनुसार इस पर 24 भाग काट लिए। बिन्दुओं से विषुवत रेखा पर लम्बवत रेखाएं खींचा तथा पूर्व निर्मित रेखा पर प्राप्त कटान बिन्दुओं से विषुवत रेखा के समानान्तर रेखाएं खींचीं जो अक्षांश रेखाएं हैं। इस प्रकार रेखा-जाल तैयार हो जायेगा।

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