Unique Geography Notes हिंदी में

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Complete Geography MaterialGENERAL COMPETITIONSGEOGRAPHY OF INDIA(भारत का भूगोल)सामान्य भूगोल #

4. Major Mountains of India / भारत के प्रमुख पर्वत

4. Major Mountains of India 

(भारत के प्रमुख पर्वत)



उत्तरी भारत का पर्वतीय क्षेत्र           

म्पूर्ण भारत के 10.7% भूभाग पर पर्वत श्रेणियाँ, 18.6% भूभाग पर पहाड़ियाँ, 27.7% भूभाग पर पठारों, तथा शेष 43% भूभाग पर मैदानों का विकास हुआ है।

भारत के उत्तर में विशालकाय मोड़दार पर्वतों की कई श्रृंखलाएँ मौजूद है जिसका विस्तार लगभग 5 लाख वर्ग किमी० पर हुआ है।

इसी क्षेत्र में विश्व की कई ऊँची-2 चोटियाँ पायी जाती है।

सुविधा के दृष्टिकोण से उत्तर के पर्वतीय क्षेत्र को तीन भागों में बाँटकर अध्ययन करते हैं।

1. ट्राँस हिमालय (ट्राँस = उस पार)

2. हिमालय

3. पूर्वांचल हिमालय

1. ट्राँस हिमालय

         मुख्य हिमालय के उत्तर में जितने भी पर्वतीय श्रृंखलाएँ हैं उन्हें ट्राँस हिमालय से संबोधित करते हैं। भारतीय भूभाग पर ट्राँस हिमालय की तीन श्रृंखलाएँ मौजूद हैं:-

(i) काराकोरम श्रेणी

(ii) लद्दाख श्रेणी

(iii) जास्कर श्रेणी।

➤ उपरोक्त तीन श्रृंखलाओं के अतिरिक्त चीन में स्थित टिएन्सान और क्यूनलून पर्वत और पाकिस्तान में स्थित हिन्दूकुश पर्वत ट्राँस हिमालय के उदाहरण हैं।

➤ ये सभी श्रृंखलाएँ मिलकर कश्मीर के उत्तरी भाग में एक गाँठ का निर्माण करती हैं जिसे पामीर का पठार कहते हैं। इसे ‘दुनिया के छ्त’ से भी सम्बोधित करते है।

➤ इसकी ऊँचाई समुद्रतल से 4500 मीटर से अधिक है। भारत में अवस्थित ट्रांस हिमालय श्रृंखलाओं की संक्षिप्त चर्चा नीचे की जा रही है।

(i) काराकोरम श्रेणी 

➤ सिन्धु नदी के उत्तर में भारत और चीन के सीमा पर स्थित है जो पामीर के पठार से निकलकर उत्तर-पश्चिम से द०-पूरब की ओर विस्तृत है।

➤ इसका प्राचीन नाम ‘कृष्णा गिरि’ है।

➤ इसकी औसत ऊँचाई 6000 मी० है।

➤ इसकी सबसे ऊँची चोटी K-2 (केल्विन-2 या (गॉडविन ऑस्टिन) है जिसकी ऊँचाई 8611 मी० है।

➤ यह विश्व की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है। काराकोरम पर्वत की चौड़ाई 80 किमी० है।

➤ यह सालों भर बर्फ से ढका रहता है। 

➤ इस पर्वत पर कई हिमानी मिलते हैं। जैसे:- बटुरा, हिस्पार, स्कामरी, बियाफो, बल्टोरा, सियाचीन हिमानी आदि।

➤ काराकोरम पर्वत पर हिमानी के अपरदन से कई दर्रे बने हैं। जैसे- खंजरेब, इन्दिरा कॉल, अगहिल इत्यादि।

➤ हिमानी के अपरदन से इसका ढाल सीढ़ीनुमा बन चुका है।

➤ यह विशुद्ध रूप से अर्द्ध मरुस्थलीय भूदृश्य प्रस्तुत करता है।

(ii) लद्दाख श्रेणी

काराकोरम श्रेणी और जास्कर श्रेणी के बीच स्थित है।

इसकी औसत ऊँचाई 5300 मी० है।

हिमानी के अपरदन के कारण यह पठार के रूप में तब्दील हो चुका है।

इसका दक्षिणी-पूर्वी भाग चीन में जाकर कैलाश पर्वत के नाम से जाना जाता है।

इस श्रृंखला पर प्रसिद्ध पुगा की घाटी मिलती है जो भूतापीय ऊर्जा का विशाल स्रोत है।

इस पठार पर सिन्धु की सहायक नदी श्योक नदी बहती है।

लद्दाख श्रेणी के उत्तर-पूरब में सोड्डा का मैदान और देप्सांग का मैदान स्थित है।

(iii) जास्कर श्रेणी  

➤ लद्दाख श्रेणी के दक्षिण में समान्तर रूप से फैला हुआ है।

➤ यह पर्वत 76°E देशान्तर रेखा के पास महान हिमालय से निकलती है।

➤ इस पर्वत की वहीं विशेषताएँ है जो लद्दाख एवं काराकोरम श्रेणी की है।

चित्र: ट्रांस हिमालय

2. हिमालय

     ‘हिमालय’ दो शब्दों के मिलने से बना है- प्रथम- हिम, दूसरा- आलय। हिम का तात्पर्य बर्फ से है जबकि आलय का तात्पर्य घर से है, अर्थात हिमालय एक ऐसा नवीन मोड़दार पर्वत है जहाँ लाखों वर्षों से हिम स्थायी रूप से निवास करता है। 

➤ यह पर्वत भारत के उत्तरी भाग में एक चाप के समान है।

➤ इसका विस्तार सिन्धु गॉर्ज से लेकर ब्रह्मपुत्र गॉर्ज तक है।

➤ इसकी कुल लम्बाई 2500 किमी० है जबकि इसकी चौड़ाई अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग है। जैसे अरुणाचल प्रदेश में इसकी चौ० 150 किमी० है जबकि जम्मू कश्मीर में इसकी चौड़ाई 450 किमी० है।

➤ हिमालय पर्वत में तीन प्रमुख श्रृंखलाएँ हैं जो महान हिमालय, लघु हिमालय तथा शिवालिक हिमालय के नाम से प्रसिद्ध है।

➤ इसकी उत्पत्ति की व्याख्या हेतु कई सिद्धांत प्रस्तुत किये गये है उनमें सबसे वैज्ञानिक सिद्धांत प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत है।

➤ ‘प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत’ के अनुसार हिमालय एक नवीन मोड़दार पर्वत है।

➤ आज जहाँ पर हिमालय अवस्थित है वहाँ पर प्लीस्टोसीन कल्प तक एक विशाल सागर अवस्थित था जो टेथिस सागर के नाम से प्रसिद्ध था।

➤ टेथिस सागर के उत्तर में अंगारालैण्ड और दक्षिण में गोंडवाना लैण्ड था।

      टेथिस सागर के मलवो में वलन एवं उत्थान की क्रिया से हिमालय जैसे विशाल पर्वत का निर्माण हुआ।

चित्र: हिमालय पर्वत की उत्पत्ति

हिमालय पर्वत को तृतीयक काल का पर्वत भी कहा जाता है क्योंकि इसका निर्माण का कार्य तृतीयक काल में ही सम्पन्न हुआ था।

इस काल में महान भू-संचलन की किया सम्पन्न हुई थी जिसे अल्पाइन भू-संचलन के नाम से जानते है।

हिमालय पर्वत का निर्माण भी अल्पाइन भूसंचलन से हुआ, इसीलिए हिमालय को अल्पाइन पर्वत के नाम से जानते हैं।

हिमालय पर्वत का विकास 

        अल्पाइन भू-संचलन के फलस्वरूप टेथिस सागर के अवसादों में वलन के फलस्वरूप अचानक हिमालय का निर्माण नहीं हुआ बल्कि इसके विकास में करोड़ों वर्ष का समय लगा है। हिमालय का विकास आज भी जारी है क्योंकि आज भी गोंडवाना लैण्ड के द्वारा हिमालय के भूगर्भ में दबाव लगाये जाने के कारण प्रतिवर्ष 4 से 5 सेमी० हिमालय का उत्थान हो रहा है।

भूगर्भशास्त्रियों के अनुसार, हिमालय में स्थित दोनों श्रृंखलाओं का विकास अलग-2 अवस्था (समय) में हुआ है। दूसरे शब्दों में हिमालय पर्वत के निर्माण तीन अवस्थाओं में हुआ है।

➤ प्रथम अवस्था में महान हिमालय का निर्माण हुआ है। महान हिमालय के निर्माण का कल्प मुख्यतः ओलिगोसीन निर्धारित किया गया है क्योंकि उसके भूगर्भ से भी ओलीगोसिन के अवसादों का प्रमाण मिलता है।

➤ द्वितीय अवस्था लघु हिमालय का निर्माण मयोसीन कल्प में माना जाता है। लेकिन कुछ क्षेत्रों का निर्माण प्लायोसीन कल्प तक जारी रहा।

तीसरी अवस्था में शिवालिक पर्वत का निर्माण कार्य प्लायोसीन में प्रारंभ हुआ और प्लीस्टोसीन में उसका निर्माण कार्य पूरा हुआ।

शिवालिक पर्वत के बारे में कहा जाता है कि जब महान हिमालय और लघु हिमालय का निर्माण हो गया तो उसके बाद लघु हिमालय के दक्षिणी भाग में टेथिस सागर का अवशिष्ट भाग बचा रहा गया जो शिवालिक नदी या इण्डो ब्रह्मा नदी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस नदी में महान हिमालय और लघु हिमालय के द्वारा लाई गई मलवा का निक्षेपण लाखों वर्षों तक होता रहा। पुन: गोंडवाना लैंड के उत्तर की ओर खिसकने से या मलवा पर दबाव पड़ने से शिवालिक पर्वत का विकास हुआ।

हिमालय की संरचना

         संरचनात्मक दृष्टिकोण से हिमालय को तीन श्रृंखला में बाँटते हैं-

(1) महान हिमालय

(2) लघु/मध्य हिमालय

(3) शिवालिक हिमालय

महान हिमालय पूर्व से पश्चिम की ओर एक लगातार श्रृंखला के रूप में है।

कहीं-2 पूर्ववर्ती नदी (जैसे- सिन्धु, सतलज, कोशी, ब्रह्मपुत्र) के कारण दर्रों का विकास हुआ है। 

लघु हिमालय में महान हिमालय की तुलना में अधिक विखण्डन देखा जा सकता है। 

शिवालिक हिमालय एक ऐसा पर्वत है जो पूर्ण रूप से विखण्डित हो चुकी है। 

इसका विस्तार पश्चिम में पोटवार के पठार से लेकर पूरब में अरुणाचल प्रदेश तक हुआ है।

        प्रत्येक हिमालय के श्रृंखलाओं की संरचना की चर्चा नीचे के शीर्षक में की जा रही है:-

(1) महान हिमालय/हिमाद्री-

इसका विस्तार सिन्धु गॉर्ज से नामचा बरबा गॉर्ज तक हुआ है।

इसकी औसत ऊँचाई 6000 मी० है।

इसका आकार एक चाप के समान है।

इसकी चोटियाँ सालोंभर बर्फ से ढकी रहती है।

गंगोत्री, यमुनोत्री जैसी कई हिमानी पायी जाती है। इसका उत्तरी ढाल मंद और दक्षिणी ढाल तीव्र है।

महान हिमालय पर विश्व की कई ऊँची-ऊँची चोटियाँ पायी जाती है। जैसे- माउंट एवरेस्ट (8850 मी०) विश्व की सबसे ऊँची चोटी है।

कंचनजंघा (8598 मी०) हिमालय की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है।

इसके अलावे नंगा पर्वत, कामेट, केदारनाथ (6945 मी०), धौलागिरी, गौरीशंकर, गोसाईथान इत्यादि भी ऐसी चोटियाँ है जिसकी ऊँचाई 6000 मी० से भी अधिक है।

महान हिमालय की प्रमुख चोटियाँ:

(i) एवरेस्ट (8850 मी०)

(ii) कंचनजंघा (8598 मी०)

(iii) मकालू  (8481 मी०)

(iv) चोयू (8201 मी०)

(v) धौलागिरी (8172 मी०)

(vi) मंसालू (8156 मी०)

(vii) नंगा पर्वत (8126 मी०)

(viii) अन्नपूर्णा (8078 मी०)

(ix) नंदादेवी (7817 मी०)

(x) नामचाबरबा (7756 मी०) 

(xi) कामेत (7756 मी०) 

(xii) गौरीशंकर (7145 मी०)

(xiii) बद्रीनाथ (7138 मी०)

(xiv) एपी (7132 मी०)

(xv) नीलकंठ (7073 मी०) 

हिमालय पर्वत को कई नदियों एवं हिमानियों ने काटकर कई दर्रों एवं कॉल का निर्माण किया है। उतराखंड में अवस्थित माना और नीति दो प्रसिद्ध कॉल के उदाहरण है। जबकि कश्मीर का जोजीला और बुर्जिला, हिमाचल प्रदेश का शिपकीला, उत्तराखण्ड का पिथौरागढ़, थागला और लिपुलेख, अरुणाचल प्रदेश का बोमडिला, सिक्किम का जेलेप्ला और नाथुला प्रमुख दर्रों के उदाहरण है।

नोटः वृहद हिमालय लघु हिमालय से मेन सेंट्रल थ्रस्ट के द्वारा अलग होती है।

(2) लघु / मध्य हिमालय / हिमाचल हिमालय

इसे हिमाचल / लघु हिमालय के नाम से जानते हैं।

इसे कश्मीर में पीरपंजाल, हिमाचल प्रदेश में धौलाधर, नेपाल में “महाभारत श्रेणी”, अरुणाचल प्रदेश में “मिश्मी और डाफला” के नाम से जानते हैं।

इस पर्वत का भी उतरी  ढाल मंद और दक्षिणी ढाल तीव्र है।

यह पर्वत अवसादी और कांग्लोमरेट चट्टानों के अलावे रूपान्तरित चट्टानों से निर्मित है। रूपान्तरित चट्टानों का निर्माण अत्याधिक दबाव एवं ताप के कारण हुआ है।

मध्य हिमालय की औसत ऊँचाई 4500 मी० है।

इसमें कई अनुप्रस्थ घाटियों का विकास हुआ है। जैसे- कुल्लू-मनाली की घाटी इसका प्रसिद्ध उदा० है।

इस पर्वत पर मसूरी, नैनीताल, दार्जीलिंग, शिमला जैसे कई पर्यटक नगर अवस्थित है।

महान हिमालय और लघु हिमालय के बीच में लगभग 200 किमी० की दूरी है।

कश्मीर में इन दोनों श्रृंखलाओं के बीच में जो स्थिर जल बच गया था वह करेवा झील के नाम से प्रसिद्ध था।

डल एवं वुलर झील इसी महान झील का अवशिष्ट भाग है, करेवा झील में मलवा के निक्षेपण से ही कश्मीर घाटी का विकास हुआ है।

नोटः लघु हिमालय शिवालिक से मेन बाउंड्री फॉल्ट (main boundry fault) के द्वारा अलग होती है।

(3) शिवालिक पर्वत/ उप हिमालय

शिवालिक पर्वत की औसत ऊँचाई 600 मी० है।

इसका विस्तार पूरब में कोशी नदी से पश्चिम में पाकिस्तान के पोटवार पठार तक हुआ है।

यह पूर्णत विखंडित श्रृंखला है। कहीं-2 पर इसकी ऊँचाई पर्वतीय मान्यता से भी कम है।

शिवालिक पर्वत अवसादी और काँग्लोमरेट चट्टानों से निर्मित है।

3. पूर्वांचल हिमालय

पूर्वांचल हिमालय का विस्तार नामचाबरबा गॉर्ज से लेकर बर्मा के अराकान योमा पहाड़ी तक हुआ है।

अराकानयोमा पहाड़ी के दक्षिण में अवस्थित द्वीपीय क्षेत्र (अंडमान निकोबार द्वीप समूह) पूर्वांचल हिमालय का ही अवशिष्ट भाग के रूप में है।

पूर्वांचल हिमालय का विस्तार भारत के अरुणाचल प्रदेश, नागालैण्ड, मणिपुर, त्रिपुरा एवं मिजोरम राज्य में हुआ है।

यह मूलत: उ०-पूर्वी भारत और म्यानमार के बीच में सीमा का निर्माण करती है।

बर्मा में इसी पर्वत को ‘अराकान योमा’ के नाम से जानते हैं।

नामचाबरबा के पास हिमालय अचानक दक्षिण की ओर मुड़ जाती है।

उत्तर से दक्षिण की ओर जाने पर पूर्वांचल हिमालय में पर्वतों का क्रम है- अरुणाचल प्रदेश में पटकोईबुम, नागालैण्ड में नागा की पहाड़ी, मणिपुर में मणिपुर पहाड़ी, मिजोरम में मिजो की पहाड़ी या लुशाई की पहाड़ी, त्रिपुरा में अगरतल्ला की पहाड़ी कहलाता है।

मेघालय में  जयंतिया की पहाड़ी और मणिपुर की पहाड़ी एक छोटी-सी पहाड़ी से जुड़ जाती है जिसे बैरल की पहाड़ी कहते हैं।

पूर्वांचल हिमालय का एक छोटा-सा भाग बंगलादेश में भी है जिसे चटगाँव की पहाड़ी कहते हैं।

पूर्वांचल हिमालय का विस्तृत भाग ही म्यांमार में जाकर अराकानयोमा की पहाड़ी कहलाती है।

पूर्वांचल हिमालय की सबसे ऊँची चोटी माउंट दफा (4578 मी०) है जो अरुणाचल प्रदेश में स्थित है।

मिजो पहाड़ी की सबासे ऊँची चोटी ‘द ब्लू माऊण्टेन’ (2157 मी०) हैं। 

चित्र: पूर्वांचल हिमालय की पहाड़ियाँ

पूर्वांचल हिमालय में कई छोटी-छोटी दर्रे भी पाये जाते हैं जैसे दिफू, कुमजावती, हफूंगान, चौकन और पांगशू।

पूर्वांचल हिमालय में कई अनुवर्ती घाटियों का विकास हुआ है जिसमें बराक की घाटी, कोहिमा की घाटी सबसे प्रसिद्ध हैं।

हिमालय का प्रादेशिक विभाजन

हिमालय एक नवीन मोड़दार पर्वत है जो भारत के उत्तर में एक चाप के रूप में अवस्थित है।

इसका विस्तार सिन्धु गॉर्ज/दर्रा से लेकर  ब्रह्मपुत्र गॉर्ज(नामचा बरबा) के मध्य हुआ है।

इसकी लम्बाई लगभग 2500Km है।

कश्मीर में इसकी चौड़ाई सबसे अधिक (450 Km) और अरुणाचल प्रदेश में इसकी चौड़ाई सबसे कम (150 Km) है। 

हिमालय का निर्माण अल्पाइन भूसंचलन से तृतीयक काल में हुआ है।

        उत्तर से दक्षिण की ओर जाने पर इसमें तीन प्रमुख श्रृंखलाएँ मिलती हैं लेकिन पश्चिम से पूर्व की ओर जाने पर स्थलाकृतिक विशेषता के आधार पर इसे चार भागों में वर्गीकृत करते हैं। जैसे-

(1) पंजाब हिमालय / कश्मीर हिमालय / हिमाचल हिमालय

(2) कुमायूँ हिमालय

(3) नेपाल हिमालय

(4) असम हिमालय

हिमालय के स्थलाकृतिक
चित्र: हिमालय के स्थलाकृतिक प्रदेश

(1) पंजाब हिमालय:- 

हिमालय का प्रादेशिक विभाजन
प्रादेशिक विभाग लंबाई विस्तार
पंजाब हिमालय 560 किमी० सिन्धु एवं सतलज नदियों के मध्य
 कुमायूँ हिमालय 320 किमी० सतलज एवं काली नदियों के मध्य
नेपाल हिमालय 800 किमी०  काली एवं तीस्ता नदियों के मध्य
असम हिमालय 720 किमी० तीस्ता एवं दिहांग नदियों के मध्य

प्रायद्वीपीय भारत के पर्वत

         प्रायद्वीपीय भारत में छोटी-बड़ी कई पर्वतीय श्रंखलाएँ मिलती है। जैसे-

अरावली पर्वत

अरावली पर्वत राजस्थान में द०-प० से उ०-पू० दिशा में अवस्थित है।

इसका विस्तार गुजरात के सीमा से लेकर दिल्ली तक हुआ है।

दिल्ली में अरावली पर्वत को ‘दिल्ली कटक’ के नाम से जानते हैं।

हिमालय और अरावली पर्वत के बीच में एक गैप है, जिसे अम्बाला गैप कहते हैं।

अरावली न सिर्फ भारत की बल्कि विश्व की सबसे पुरानी पर्वत है।

यह कभी विश्व का सबसे लम्बा वलित पर्वत हुआ करता था लेकिन अब अवशिष्ट पहाड़ी के रूप में बदल चुका है।

इसकी सबसे ऊँची चोटी गुरुशिखर (1722 मी०) है जो राजस्थान के सिरोही जिला में माउण्ट आबू के पास स्थित है।

अरावली की लम्बाई 800 किमी० और औरत ऊँचाई 700-900 मी० मानी जाती है।

अरावली में कई दर्रे भी मिलते हैं जिसमें पिपलीघाट, देवारी, बेसूर दर्रा सबसे प्रमुख हैं।

इसके गर्भ में कई खनिज पाये जाते हैं। 

इसे राजस्थान के ‘खनिजों का अजायबघर’ कहा जाता है।

अपरदन एवं ऋतुक्षरण के कारण कई स्थानों पर यह विखण्डित हो चुकी है। लेकिन दक्षिण-पश्चिम अरावली पर्वतीय भाग की ऊँचाई आज भी पर्याप्त है।

विन्ध्यन पर्वत

विन्ध्यन पर्वत प्रायद्वीपीय भारत के उत्तरी सीमा का निर्माण करती है।

यह नर्मदा नदी के उत्तर में स्थित है।

इसकी औसत ऊँचाई 500-700 मी० है।

इस पर्वत का उत्तरी ढाल भ्रंशन  क्रिया से बना है जिसके कारण उत्तरी भाग का ढाल तीव्र है जबकि दक्षिणी भाग का ढाल मंद है।

इसका विस्तार गुजरात की सीमा से लेकर बिहार के गंगा नदी तक हुआ है।

पश्चिम से पूरब की ओर जाने पर इसे क्रमश: विन्ध्यन पर्वत, भारनेर पर्वत, कैमूर की पहाड़ी, बराबर की पहाड़ी और खड़‌गपुर की पहाड़ी के नाम जानते हैं।

राजमहल की पहाड़ी

राजमहल की पहाड़ी बिहार और झारखण्ड की सीमा पर भागलपुर के पास अवस्थित है।

इसकी औसत ऊँचाई 500-7oo मी० है।

यह उत्तर से दक्षिण दिशा में फैला हुआ है।

राजमहल पहाड़ी के कारण गंगा नदी को भागलपुर के पास उत्तरायण होना पड़ता है।

राजमहल की पहाड़ी पर जूरासिक काल में हुए लावा का प्रमाण मिलता है।

सतपुड़ा पर्वत

सतपुड़ा एक ब्लॉक पर्वत है जो नर्मदा और ताप्ती भ्रंश घाटी के बीच अवस्थित है।

इसकी औसत ऊँचाई 900-1100 मी० है।

सतपुड़ा श्रृंखला के पूरब में महादेव, मैकाल, रामगढ़ और गढ़‌जात की पहाड़ी अवस्थित है।

सतपुड़ा की सबसे ऊँची चोटी धूपगढ़ (1350 मी०) है। जबकि मैकाल की सबसे ऊँची चोटी अमरकंटक (1127 मी०) है।

मैकाल पर ही पंचमढ़ी नामक पर्वतीय पर्यटक नगर अवस्थित है।

सतपुड़ा पर्वत के समान्तर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिला में अजन्ता की पहाड़ी और नागपुर में गाविलगढ़ की पहाड़ी स्थित है।

अजंता पर्वत

अजंता पर्वत श्रृंखला भारत में केवल एक ही राज्य महाराष्ट्र में फैली हुई है। 

यह महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में पाया जाता है।

यह श्रृंखला दक्कन के पठार की उत्तरी दीवार बनाती है और गोदावरी और तापी नदियों की सहायक नदियों के बीच जल विभाजक के रूप में कार्य करती है।

➤ तापी मध्यप्रदेश के बैतुल जिले के मुल्लाई नामक स्थान से निकलती है तथा यह सतपुड़ा एवं अजंता पहाड़ी के बीच भ्रंश घाटी में बहती है।

गारो, खांसी और जयंतिया की पहाड़ी

ये मेघालय राज्य में पश्चिम से पूरब की ओर क्रमशः फैला हुआ है।

गारो एक अलग पहाड़ी के रूप में अवस्थित है जबकि खाँसी और जयन्तिया आपस में जुड़े हुए हैं।

जयन्तिया पहाड़ी से एक भाग पृथक होकर काफी पूरब की ओर चला गया है जिसे मिकिर की पहाड़ी कहते हैं जो असम में अवस्थित है।

गारो, खाँसी जयन्तिया की सबसे ऊँची चोटी नॉरकेक है जो गारो पहाड़ी पर स्थित है। 

औसत ऊँचाई के दृष्टिकोण से जयन्तिया की पहाड़ी सबसे ऊँची है, जबकि गारो पहाड़ी सबसे नीची है।

पश्चिमी घाट-

यह प्रायद्वीपीय भारत के पश्चिमी किनारे पर अवस्थित है।

यह अरब सागर के समानान्तर लेकिन तट से दूर स्थित है लेकिन कर्नाटक में यह श्रृंखला समुद्र के नजदीक आ जाती है।

इसका विस्तार उत्तर में ताप्ती नदी के मुहाना से दक्षिण में कन्याकुमारी तक हुआ है।

इसकी कुल लम्बाई 1600 किमी० है।

इसकी औसत ऊँचाई 915 मी० है।

         पश्चिमी घाट को कई छोटे-2 भागों में विभक्त कर उसके भूदृश्य का अध्ययन करते हैं। जैसे:-

ताप्ती नदी से लेकर 16º उत्तरी अक्षांश के बीच स्थित पश्चिमी घाट को सह्याद्री पर्वत कहते है जिसकी सबसे ऊँची चोटी कालसुबाई (1646 मी०) है। 

16º उतरी अक्षांश के दक्षिण वाले भाग की सबसे ऊँची चोटी कुद्रेमुख (1892 मी०) है।

पश्चिमी घाट के तीसरी शाखा का प्रारंभ नीलगिरि से होता है क्योंकि यहाँ पश्चिमी एवं पूर्वी घाट आपस में आकर मिल जाती है।

ताप्ती से 16º उत्तरी अक्षांश के बीच स्थित पश्चिमी घाट पर्वत के ऊपर बैसाल्ट चट्टान या लावा उदगार का प्रमाण मिलता है।

इसमें थालघाट और भोरघाट दो प्रसिद्ध दर्रे है।

गोदावरी और कृष्णा नदी का क्षेत्र में उद्‌गम स्थल पाया जाता है।

इस क्षेत्र में स्थित पहाड़ का एक भाग धँसकर भ्रंशोत्थ/ब्लाँक पर्वत का निर्माण करता हैं।

16º उत्तरी अक्षांश से नीलगिरि पहाड़ी तक अवस्थित पश्चिमी घाट की ऊँचाई बहुत अधिक है लेकिन इसका पश्चिमी ढाल अधिक तीव्र है जबकि पूर्वी ढाल मंद है।

पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट के मिलने से एक गाँठ का निर्माण होता है जिसे नीलगिरी कहते हैं।

नीलगिरि की सबसे ऊँची चोटी दोदाबेटा (2636 मी०) है, इसी पहाड़ी पर ऊपर बहुत ही प्रसिद्ध पर्यटक स्थल ऊँटी (उटकमण्डलम्) है।

नीलगिरि के दक्षिण में क्रमश: अन्नामल्लई,  कार्डेमम, नागर कोयल और स्वामी विवेकानन्द रॉक अवस्थित है। इसे सम्मिलित रूप से दक्षिण की पहाड़ी के रूप में सम्बोधित करते हैं।

अन्नामलाई की सबसे ऊँची चोटी अन्नाईमुडी (2695 मी०) है।

अन्नामलाई के उत्तर-पूर्व में पालिनी पर्वत श्रृंखला है जिस पर कोडाईकनाल नामक पर्वतीय नगर अवस्थित है।

नीलगिरि और अन्नामलाई के बीच में पाल नायक दर्रा स्थित है जो किसी प्राचीन नदी के अपरदन द्वारा निर्मित है।

इसी तरह अन्नामलई और कार्डमम पहाड़ी के बीच में शेनकोटा दर्रा अवस्थित है।

शेनकोट दर्रा के दक्षिण में पहाड़ियों की ऊँचाई बहुत कम हो जाती है और अन्ततः हिन्द महासागर में प्रक्षेपित हो जाती है।

इसका अन्तिम बिन्दु स्वामी विवेकानन्द रॉक कहलाता है।

पूर्वी घाट

पूर्वी घाट प्रायद्वीपीय भारत के पूर्वी तट के समानान्तर उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर फैला है।

यह तट से 200-400 किमी० अन्दर अवस्थित है।

इस पर्वत का निर्माण कुडप्पा संरचना से हुआ है। इसमें डोलोमाइट, खोंडोलाइट, चर्कोनाइट जैसे खनिजों से निर्मित चट्टान पाए जाते हैं।

यह एक विखण्डित श्रृंखला है क्योंकि इसे महानदी, गोदावरी, कृष्णा जैसी नदियों ने जगह-2 पर काट डाला है।

पूर्वी घाट की औसत ऊँचाई 900 मी० मानी जाती है।

        पूर्वी घाट को मूलतः तीन भागों में बाँटकर भूदृश्य का अध्ययन करते हैं। जैसे:-

(a) धुर उत्तरी भाग-

यह महानदी के उत्तर में अवस्थित है।

उड़ीसा के मयूरभंज में इसका विस्तार सर्वाधिक हुआ है।

उत्तर से दक्षिण की ओर जाने पर इस भाग में कई पर्वतीय चोटी मिलती है। जैसे- मलयगिरि (1187 मी०), मेघासनी (1165 मी०), गन्धमार्तन (1160 मी०) इत्यादि।

उड़ीसा में अवस्थित सम्मिलित पर्वतीय श्रृंखला को ‘मलयास्क’ के नाम से जानते हैं।

उड़ीसा और आन्ध्रप्रदेश में पूर्वी समुद्र तट के समानांतर पूर्वी घाट उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर मुड़ जाती है।

इन क्षेत्र में पूर्वी घाट की सबसे ऊँची चोटी महेन्द्रगिरि (1501 मी०) अवस्थित है।

गोदावरी नदी पूर्वी घाट को काटकर गहरे गॉर्ज का निर्माण करती है।

(b) मध्यवर्ती श्रृंखला- 

कृष्णा नदी से लेकर पेलार नदी के बीच स्थित पूर्वीघाट श्रृंखला को मध्यवर्ती श्रृंखला कहते हैं।

इनमें नालामाला, पालकोंडा, वेलीकोंडा श्रृंखला प्रमुख हैं।

पालकोंडा और वेलीकोंडा पहाड़ी के मध्य भाग से पनेरू नदी प्रवाहित होती है।

(c) तमिलनाडु श्रृंखला-

पूर्वीघाट को तमिलनाडु में जावदी, गिंजी, शिवराय पहाड़ी के नाम से जानते हैं। ये सभी श्रृंखलाएँ एक-दूसरे से पृथक-2 हैं।

पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट बीच-2 में आपस में जुड़े हुए हैं। जैसे- मुम्बई और हैदराबाद के बीच हरिचन्द्र पर्वत और बालाघाट पर्वत स्थित है और बंगलोर के पास बाबाबुदन तथा श्रीसैलम पहाड़ी से जुड़ी हैं।



भारत के प्रमुख पर्वत से सम्बंधित प्रमुख वस्तुनिष्ट प्रश्नोत्तर



1. भारत की उत्तरी सीमा पर स्थित पर्वत है-

(a) अरावली

(b) हिमालय

(c) नीलगिरि

(d) मैकाल

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2. हिमालय पर्वत एक मुख्य प्रकार है-

(a) ज्वालामुखी पर्वत का

(b) वलित पर्वत का

(c) ब्लॉक पर्वत का

(d) अवशिष्ट पर्वत का

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3. भारत का सर्वोच्च पर्वत शिखर है-

(a) गाडविन आस्टिन

(b) कंचनजंगा

(c) नंगा पर्वत

(d) नन्दा देवी

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4. भारत में हिमालय की सर्वोच्च पर्वत चोटी है-

(a) नन्दा देवी

(b) नंगा पर्वत

(c) कंचनजंगा

(d) धौलागिरि

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5. भारत की कौन-सी पर्वत श्रेणी नवीनतम है?

(a) सहयाद्रि

(b) अरावली

(c) हिमालय

(d) सतपुड़ा

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6. निम्नलिखित में से कौन भारत का सर्वोच्च पर्वत शिखर है?

(a) एवरेस्ट

(c) नन्दा देवी

(b) नंगा पर्वत

(d) कंचनजंगा

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7. निम्नलिखित में कौन-सी हिमालय की पर्वत चोटी असम राज्य में स्थित है?

(a) नन्दा देवी

(b) नाम्चाबारवे

(c) धौलागिरि

(d) कंचनजंगा

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8. हिमालय की उत्पत्ति किस भू-सन्नति से हुई है?

(a) टेथीस

(b) इण्डोब्रह्मा

(c) शिवालिक

(d) गोदावरी

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9. हिमालय का पाद प्रदेश (Foothill Regions) निम्न में से किस नाम से जाना जाता है?

(a) ट्रान्स हिमालय

(b) महान् हिमालय

(c) पीरपंजाल

(d) शिवालिक

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10. उतराखंड हिमालय में सर्वोच्च पर्वत शिखर है-

(a) चौखम्भा

(b) धौलागिरि

(c) नंदा देवी

(d) त्रिशूल

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11. निम्नलिखित में हिमालय का पर्वत पदीय प्रदेश है-

(a) शिवालिक

(b) ट्रान्स हिमालय

(c) वृहत् हिमालय

(d) अरावली

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12. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए।

         सूची-1                 सूची-II

A. पंजाब हिमालय 1. सतलज तथा काली के मध्य

B. कुमायूँ हिमालय 2. तिस्ता तथा दिहांग के मध्य

C. नेपाल हिमालय 3. सिन्धु तथा सतलज के मध्य

D. असम हिमालय 4. काली तथा तिस्ता के मध्य

कूट :

      A B C D

(a) 3 1 4 2

(b) 3 4 2 1

(c) 1 2 3 4

(d) 4 3 2 1

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13. हिमालय में हिम रेखा (Snow line) निम्न के बीच होती है-

(a) 5400 से 6000 मी० पूर्व में

(b) 4000 से 5800 मी० पश्चिम में

(c) 4500 से 6000 मी० पूर्व में

(d) 4500 से 6000 मी० पश्चिम में

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14. निम्न में से कौन-सी पर्वत चोटी संसार की दूसरी सर्वोच्च पर्वत चोटी है?

(a) गाडविन आस्टिन

(b) कंचनजंगा

(c) नन्दादेवी

(d) नंगा पर्वत

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15. काराकोरम पर्वत श्रेणी का पूर्व नाम है-

(a) K-2 श्रेणी

(b) कृष्णागिरि

(c) सागरमाथा

(d) राकापोशी

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16. हिमालय श्रेणी क्षेत्र में मिलने वाली संकीर्ण तथा अनुदैर्ध्य (लम्बी) घाटियों को किस नाम से जाना जाता है?

(a) दून

(b) चोस

(c) दुआर

(d) मर्ग

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17. लघु हिमालय श्रेणी के ढालों पर मिलने वाले छोटे-छोटे घास के मैदानों को जम्मू-कश्मीर में क्या कहा जाता है?

(a) मर्ग

(b) बुग्याल

(c) पयार

(d) दुआर

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18. लघु हिमालय श्रेणी के ढालों पर मिलने वाले छोटे-छोटे घास के मैदानों को उत्तराखण्ड में क्या कहा जाता है?

(a) दून

(b) मर्ग

(c) चोस

(d) बुग्याल एवं पयार

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19. सतलज एवं काली नदियों के बीच हिमालय का कौन-सा प्रादेशिक विभाग स्थित है?

(a) पंजाब हिमालय

(c) नेपाल हिमालय

(c) नेपाल हिमालय

(d) असम हिमालय

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20. काली एवं तिस्ता नदियों के बीच हिमालय का कौन-सा प्रादेशिक विभाग स्थित है?

(a) पंजाब हिमालय

(b) नेपाल हिमालय

(c) असम हिमालय

(d) कुमायूं हिमालय

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21. निम्नलिखित में से किसे ‘सागरमाथा’ के नाम से जाना जाता है?

(a) कंचनजंगा

(b) एवरेस्ट

(c) गाडविन आस्टिन

(d) नाम्चाबारवे

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22. एडमण्ड हिलेरी तथा तेनजिंग नोर्गे द्वारा विश्व की सर्वोच्च पर्वत चोटी माउण्ट एवरेस्ट पर सबसे पहले किस वर्ष विजय प्राप्त की गई?

(a) 1898 ई० में

(b) 1953 ई० में

(c) 1957 ई० में

(d) 1969 ई० में

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23. नन्दा देवी चोटी है-

(a) असम हिमालय का भाग

(b) कुमायूं हिमालय का भाग

(c) नेपाल हिमालय का भाग

(d) पंजाब हिमालय का भाग

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24. हिमालय पर्वत की एक श्रेणी अराकानयोमा कहाँ स्थित है?

(a) बलूचिस्तान

(b) म्यान्मार

(c) नेपाल

(d) थाईलैंड

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25. जम्मू-कश्मीर में स्थित निम्नलिखित पर्वत श्रेणियों का पूर्व से पश्चिम की ओर क्रम होगा-

1. जास्कर श्रेणी 2. पीरपंजाल श्रेणी 3. काराकोरम श्रेणी 4. उद्दाख श्रेणी

कूट :

(a) 4, 3, 1, 2

(b) 2, 1, 3, 4

(c) 3, 4, 1, 2

(d) 1, 2, 3, 4 

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26. भारत की सर्वोच्च पर्वत श्रेणी कौन-सी है?

(a) गाडविन आस्टिन

(b) कंचनजंगा

(c) नन्दा देवी

(d) एवरेस्ट

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27. कुल्लू घाटी निम्नलिखित पर्वत श्रेणियों के बीच अवस्थित है-

(a) धौलाधर तथा पीरपंजाल

(b) रणज्योति तथा नागटिब्बा

(c) लद्दाख तथा पीरपंजाल

(d) मध्य हिमालय तथा शिवालिक

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28. उतराखंड का सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है

(a) बद्रीनाथ

(b) केदारनाथ

(c) कामेत

(d) नन्दादेवी

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29. शिवालिक श्रेणी का निर्माण हुआ-

(a) इयोजोइक

(b) पैल्योजोइक

(c) मेसोजोइक

(d) सेनोजोइक

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30. हिमालय का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत शिखर कंचनजंगा भारत के किस राज्य में स्थित है?

(a) असम

(b) उत्तराखंड

(c) सिक्किम

(d) हि० प्र०

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31. निम्नलिखित में से सबसे प्राचीन पर्वत श्रेणी कौन-सी है?

(a) हिमालय

(b) अरावली

(c) विन्ध्य

(d) सतपुड़ा

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32. भारत में निम्नलिखित में से कौन-सी पर्वत श्रेणी केवल एक राज्य में फैली हुई है?

(a) अरावली

(b) सतपुड़ा

(c) अजन्ता

(d) सह्यादि

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33. भारत में सबसे प्राचीन वलित पर्वतमाला कौन-सी है?

(a) विन्ध्याचल

(b) सतपुड़ा

(c) अरावली

(d) नीलगिरि

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34. अरावली पर्वत का सर्वोच्च शिखर क्या कहलाता है?

(a) गुरुशिखर

(b) सेर

(c) दोदाबेट्टा

(d) अमरकंटक

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35. पश्चिमी घाट क्या है?

(a) एक अवशिष्ट पर्वत

(b) एक मोड़दार पर्वत

(c) एक भ्रंश कगार

(d) एक ज्वालामुखी पर्वत

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36. निम्नलिखित में से किस पर्वतमाला को ‘स‌ह्यादि’ के नाम से भी जाना जाता है?

(a) सतपुड़ा

(b) पश्चिमी घाट

(c) पूर्वी घाट

(d) अरावली

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37. पश्चिमी घाट (सहयाद्रि) की सबसे ऊँची शिखर है-

(a) धूपगढ़

(b) दोदाबेड्डा

(c) आनाईमुदी

(d) गुरुशिखर

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38. पूर्वी घाट एवं पश्चिमी घाट पर्वत श्रेणियों का सम्मिलन स्थल है-

(a) पालनी पहाड़ी

(b) नीलगिरि पहाड़ी

(c) अन्नामलाई पहाड़ी

(d) शेवराय पहाड़ी

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39. भारत के सबसे दक्षिणी भाग में स्थित पहाड़ियाँ निम्न में से कौन-सी है?

(a) नीलगिरि

(b) कार्डेमम

(c) पालनी

(d) अन्नामलाई

40. पूर्वी घाट पर्वत श्रेणी का सर्वोच्च शिखर है-

(a) पंचमढ़ी

(b) महेन्द्रगिरि

(c) दोदाबेट्टा

(d) अनाईमुदी

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41. कार्डेमम पहाड़ी कहाँ अवस्थित है?

(a) जम्मू-कश्मीर

(b) हिमाचल प्रदेश

(c) केरल

(d) महाराष्ट्र

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42. गिरनार पहाड़ियों कहाँ स्थित है?

(a) बिहार

(b) गुजरात

(c) कर्नाटक

(d) राजस्थान

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43. गारो, खासी और जयन्तिया पहाड़ियाँ किस राज्य में स्थित है?

(a) मेघालय

(b) मणिपुर

(c) त्रिपुरा

(d) असम

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44. दक्षिण भारत का सर्वोच्च पर्वत शिखर है-

(a) अनाईमुदी

(b) दोदाबेट्टा

(c) महाबलेश्वर

(d) महेन्द्रगिरि

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45. भारत एवं म्यान्मार के बीच सीमा निर्धारण करने वाली तीन पर्वत श्रेणियाँ हैं-

(a) नागा, पटकोई तथा अराकानयोमा

(b) अल्टाई पर्वत श्रृंखला

(c) ग्रेट डिवाइडिंग रेंज

(d) इनमे से कोई नहीं

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46. निम्नलिखित पर विचार कीजिए-

1. महादेव पहाडियाँ 2. सह्याद्रि पर्वत 3. सतपुड़ा पर्वत

उपर्युक्त का उत्तर से दक्षिण की ओर सही अनुक्रम कौन-सा है?

(a) 1, 2, 3

(b) 2, 1, 3

(c) 1, 3, 2

(d) 2, 3, 1

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47. छोटानागपुर पठार की सबसे ऊँची पर्वत चोटी है

(a) धूपगढ़

(b) पंचमढ़ी

(c) पारसनाथ

(d) महाबलेश्वर

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48. पाट भूमि पायी जाती है-

(a) दण्डकारण्य में

(b) छोटानागपुर में

(c) विदर्भ मैदान में

(d) विन्ध्य उच्च भूमि में

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49. छोटानागपुर पठार-

(a) एक अग्रगम्भीर है

(b) एक गर्त है

(c) एक पदस्थली है

(d) एक सम्प्राय भूमि है

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50. सबसे बड़ा हिमनद निम्न में से कौन है?

(a) कंचनजंगा

(b) रुंडन

(c) गंगोत्री

(d) केदारनाथ

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51. महाराष्ट्र और कर्नाटक में पश्चिमी घाट……..कहलाते हैं।

(a) नीलगिरि पर्वत

(b) सह्याद्रि

(c) दक्कन पठार

(d) इनमें से कोई नहीं

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52. निम्नलिखित में वह पर्वत श्रेणी कौन-सी है, जो भारत में सबसे पुरानी है?

(a) हिमालय

(b) विन्ध्याचल

(c) अरावली

(d) सहयाद्रि

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53. हिमालय के सर्वोच्च शिखर माउन्ट एवरेस्ट की ऊँचाई कितनी है?

(a) 8200 मीटर

(b) 8848 मीटर

(c) 8500 मीटर

(d) 9000 मीटर

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54. कोडाईकनाल किस पर्वत श्रृंखला पर स्थित है?

(a) पालनी

(b) नीलगिरि

(c) विन्ध्याचल

(d) अरावली

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55. निम्नलिखित में से कौन-सी पर्वत श्रृंखला सबसे पुरानी है?

(a) हिमालय

(b) अरावली

(c) नीलगिरि

(d) सतपुड़ा

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56. उत्तर-पश्चिम में स्थित पर्वत है-

(a) अरावली

(b) विन्ध्याचल

(c) हिन्दूकुश

(d) सतपुड़ा

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57. भारत का सर्वोच्च शिख है-

(a) माउण्ट एवरेस्ट

(b) कंचनजंगा

(c) गॉडविन आस्टिन (K-2)

(d) गौरीशंक

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I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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