Unique Geography Notes हिंदी में

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BA SEMESTER/PAPER IIIECONOMIC GEOGRAPHY (आर्थिक भूगोल)

23. International Trade (अंतर्राष्ट्रीय व्यापार)

 International Trade

(अंतर्राष्ट्रीय व्यापार)



International Trade

परिचय

    अंतर्राष्ट्रीय व्यापार उन आर्थिक गतिविधियों को संदर्भित करता है जिसके माध्यम से दो या अधिक देश वस्तुओं, सेवाओं, प्रौद्योगिकी, पूँजी, श्रम और ज्ञान का परस्पर आदान-प्रदान करते हैं। यह व्यापार वैश्विक आर्थिक तंत्र की रीढ़ है और विभिन्न देशों के बीच आर्थिक परस्पर निर्भरता को बढ़ाता है।

    आधुनिक युग में वैश्वीकरण (Globalization), उदारीकरण (Liberalization) और निजीकरण (Privatization) ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को नई गति दी है, जिसके कारण विश्व बाजारों का एकीकरण (Integration) तेजी से बढ़ा है।

परिभाषा

    विभिन्न विद्वानों के अनुसार-

एडम स्मिथ के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार ऐसे विनिमय को कहते हैं जिसमें देश अपने मध्य वस्तुओं और सेवाओं की खरीद-फरोख्त करते हैं।

रिचर्डो के अनुसार, यह व्यापार उन लाभों से प्रेरित होता है जो देश तुलनात्मक लाभ (Comparative Advantage) के कारण एक-दूसरे से प्राप्त करते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की विशेषताएँ

(i) सीमा पार लेन-देन:-

     इसमें राष्ट्रों की राजनीतिक सीमाओं को पार करते हुए आदान-प्रदान होता है।

(ii) भाषा और संस्कृति का अंतर:-

    लेन-देन में विभिन्न भाषाई, सांस्कृतिक और कानूनी व्यवस्थाओं का प्रभाव होता है।

(iii) मुद्रा विनिमय की आवश्यकता:-

     विदेशी मुद्राओं के विनिमय दर (Exchange Rate) व्यापार को प्रभावित करते हैं।

(iv) विभिन्न प्रशासनिक नियम:-

     आयात-निर्यात नीति, कस्टम शुल्क, कोटा, लाइसेंस आदि व्यापार को नियंत्रित करते हैं।

(v) विस्तृत परिवहन और संचार नेटवर्क:-

     समुद्री, वायुवाहित एवं भूमि परिवहन की आवश्यकता।

(vi) उच्च जोखिम और अनिश्चितता:-

     राजनीतिक संकट, युद्ध, आपूर्ति शृंखला टूटना, विदेशी मुद्रा संकट आदि का प्रभाव।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की आवश्यकता

(i) संसाधनों का असमान वितरण:-

     दुनिया में प्राकृतिक संसाधन समान रूप से वितरित नहीं हैं।

(ii) तकनीक और विशेषज्ञता का अंतर:-

      विकसित और विकासशील देशों में तकनीक की उपलब्धता अलग-अलग है।

(iii) उत्पादन लागत में भिन्नता:-

     कुछ देश कुछ वस्तुओं का उत्पादन सस्ता कर पाते हैं।

(iv) आर्थिक विकास को गति:-

     व्यापार से रोजगार, निवेश और आय बढ़ती है।

(v) प्रतिस्पर्धा और गुणवत्तावृद्धि:-

     अंतर्राष्ट्रीय बाजार प्रतिस्पर्धा द्वारा गुणवत्ता को बेहतर बनाते हैं।

(vi) उपभोक्ता को अधिक विकल्प:-

    वैश्विक वस्तुओं की उपलब्धता से विकल्प और सस्ते दाम प्राप्त होते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के रूप

(i) वस्तु व्यापार- देशों के बीच कच्चे माल, निर्मित वस्तुओं तथा उपभोक्ता वस्तुओं का आदान-प्रदान।

(ii) सेवा व्यापार- पर्यटन, परिवहन, संचार, बीमा, बैंकिंग व आईटी सेवाओं का लेन-देन।

(iii) पूँजी/निवेश प्रवाह- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) व पोर्टफोलियो निवेश का विनियोजन।

(iv) प्रौद्योगिकी हस्तांतरण- तकनीकी ज्ञान, पेटेंट, लाइसेंस व कौशल का अंतरदेशीय प्रवाह।

(v) ई-कॉमर्स आधारित व्यापार- डिजिटल प्लेटफॉर्मों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय खरीद-फरोख्त।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लाभ

(i) विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं व सेवाओं का आदान-प्रदान बढ़ता है।

(ii) उत्पादन का विशेषज्ञीकरण (Specialization) विकसित होता है।

(iii) देशों को सस्ती और बेहतर गुणवत्ता वाली वस्तुएँ उपलब्ध होती हैं।

(iv) विदेशी मुद्रा अर्जित होती है, जिससे आर्थिक विकास तेज होता है।

(v) अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा से उद्योगों की दक्षता बढ़ती है।

(vi) रोजगार के अवसर बढ़ते हैं और तकनीकी ज्ञान का आदान-प्रदान होता है।

(vii) देशों के बीच आर्थिक व राजनीतिक संबंध मजबूत होते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की बाधाएँ (Barriers to Trade)

(i) शुल्क (Tariffs):– आयातित वस्तुओं पर कर लगाना, जिससे विदेशी उत्पाद महंगे हो जाते हैं।

(ii) गैर-शुल्क बाधाएँ (Non-Tariff Barriers):- कोटा, लाइसेंस, मानक आदि जो व्यापार को सीमित करते हैं।

(iii) परिवहन एवं लॉजिस्टिक समस्याएँ:- ऊँची लागत और अविकसित अवसंरचना व्यापार धीमा करती है।

(iv) राजनीतिक व कूटनीतिक तनाव:- प्रतिबंध, प्रतिबन्धन और अस्थिर संबंध व्यापार में रुकावट पैदा करते हैं।

(v) मुद्रा उतार-चढ़ाव:- विनिमय दर में अस्थिरता व्यापार लागत बढ़ाती है।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के नियामक संस्थान

(International Trade Organizations)

(i) विश्व व्यापार संगठन (WTO)

⇒ वैश्विक व्यापार नियमों का निर्माण व निगरानी करता है।

⇒ शुल्क, सब्सिडी, व्यापार विवाद समाधान तथा मुक्त व्यापार को बढ़ावा देता है

(i) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)

⇒ देशों के बीच वित्तीय स्थिरता, विनिमय दर नियंत्रण तथा भुगतान संतुलन सहायता प्रदान करता है।

⇒ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए आवश्यक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करता है।

(ii) विश्व बैंक समूह (World Bank Group)

⇒ विकासशील देशों को ऋण व तकनीकी सहायता प्रदान करता है।

⇒ बुनियादी ढाँचे और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित कर व्यापार क्षमता बढ़ाता है।

(iii) संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD)

⇒ विकासशील देशों के व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देता है।

⇒ वैश्विक व्यापार नीतियों का विश्लेषण और सुझाव प्रदान करता है।

(iv) अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्य मंडल (ICC)

⇒ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के मानक नियम, INCOTERMS तथा मध्यस्थता सेवाएँ प्रदान करता है।

⇒ व्यापार विवादों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

    इन संस्थानों का मुख्य उद्देश्य वैश्विक व्यापार को सुचारु, संतुलित और न्यायसंगत बनाना है।

भारत में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

⇒ भारत का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मुख्यतः वस्त्र, दवा उद्योग, आईटी सेवाएँ, रत्न-जवाहरात, मशीनरी, कृषि उत्पाद तथा पेट्रोलियम उत्पादों पर आधारित है।

⇒ प्रमुख व्यापारिक साझेदार: अमेरिका, चीन, UAE, यूरोपीय संघ, सिंगापुर।

⇒ निर्यात-आधारित क्षेत्रों में IT/ITES, फार्मा, ऑटो पार्ट्स तेज़ी से बढ़ रहे हैं।

⇒ आयात में कच्चा तेल, इलेक्ट्रॉनिक सामान, सोना और मशीनरी शामिल हैं।

⇒ सरकार व्यापार बढ़ाने हेतु FTA, ‘मेक इन इंडिया’, निर्यात प्रोत्साहन योजनाएँ और लॉजिस्टिक सुधार कर रही है।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की चुनौतियाँ

⇒ विभिन्न देशों के व्यापार नियम, शुल्क व गैर-शुल्क अवरोध।

⇒ मुद्रा विनिमय दरों में निरंतर उतार-चढ़ाव।

⇒ राजनीतिक अस्थिरता एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का प्रभाव।

⇒ लॉजिस्टिक समस्याएँ, परिवहन लागत व समय देरी।

⇒ सांस्कृतिक एवं भाषा भिन्नता से संचार बाधाएँ।

⇒ गुणवत्ता मानकों और प्रमाणन प्रक्रियाओं का पालन।

⇒ वैश्विक बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा।

⇒ प्राकृतिक आपदाएँ व वैश्विक संकट (जैसे महामारी) से आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित।

निष्कर्ष

    अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विश्व अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा है। यह न केवल देशों के आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करता है बल्कि वैश्विक सहयोग, शांति और तकनीकी आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देता है।

    भविष्य में डिजिटल व्यापार, ई-कॉमर्स, सेवा क्षेत्र, एआई-आधारित प्रौद्योगिकी और वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं का विस्तार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को नए आयाम प्रदान करेगा।

I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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