11. बेलनाकार प्रक्षेप (Cylindrical Projection)
11. बेलनाकार प्रक्षेप (Cylindrical Projection)
बेलनाकार प्रक्षेप (Cylindrical Projection)⇒
⇒ बेलनाकार प्रक्षेप में प्रकाश के स्रोत को ग्लोब के केन्द्र में स्थिर रखा जाता है और कागज को ग्लोब पर खोखले बेलन के रूप में लपेटकर अक्षांश एवं देशान्तर रेखाओं के रेखाजाल को समतल कागज पर उतारने का प्रयास किया जाता है।
⇒ सामान्य दशा में कागज का खोखला बेलन भूमध्यरेखा को स्पर्श करता है। ऐसी स्थिति में पृथ्वी के ध्रुवीय अक्ष और खोखले बेलन का अक्ष एक ही हो जाता है।
⇒ बेलनाकार प्रक्षेप में सभी अक्षांश वृत की लम्बाई एक समान होती है तथा सीधी एवं समान्तर रेखा के रूप में होती है।
⇒ बेलनाकार प्रक्षेप पर मध्य अक्षांशीय क्षेत्र और ध्रुवीय क्षेत्र में विवर्धन का गुण पाया जाता है।
⇒ सभी देशान्तर रेखाएँ समान लम्बाई वाली सरल एवं समान्तर रेखाओं के समान होती है तथा देशान्तर रेखाओं के बीच की दूरी भी एक समान होती है।
⇒ प्रत्येक अक्षांश रेखा देशान्तर को समकोण पर काटती है।
⇒ बेलनाकार प्रक्षेप में गणितीय विधि से सुधार लाकर अलग-2 प्रक्षेप बनाये जाते हैं। जैसे-समदूरस्थ बेलनाकार प्रक्षेप, बेलनाकार समक्षेत्र प्रक्षेप।
(1) समदूरस्थ बेलनाकार प्रक्षेप (Cylindrical Equi-Distance Projection)
इस प्रक्षेप में आक्षांश वृत्त एवं देशांतर रेखाएँ परस्पर समान दूरी के अंतर पर बनायी जाती है। इसीलिए इसे समदूरस्थ बेलनाकार प्रक्षेप के नाम से पुकारा जाता है।
⇒ चूँकि समदूरस्थ बेलनाकार प्रक्षेप को सर्वप्रथम प्लेट कैरी ने बनाया था। इसलिए इसे प्लेट कैरी प्रक्षेप भी कहा जाता है।
⇒ यह एक बेलनाकार प्रक्षेप का उदाहरण है, इसलिए इसमें सभी समदूरस्थ का गुण होता है।
⇒ अक्षांश वृत और देशान्तर रेखाओं के बीच की दूरी नियत रहती है। जिसके कारण दो क्रमबद्ध अक्षांश और दो क्रमबद्ध देशांतर रेखाओं के बीच का क्षेत्र एक वर्ग के समान दिखाई देती है।
⇒ सभी अक्षांश रेखाओं की लम्बाई भूमध्यरेखा के बराबर होती है।
⇒ सभी अक्षांश रेखाएँ सीधी एवं समान्तर होती है।
⇒ देशान्तर रेखाएँ भी सीधी एवं समान्तर होती है। लेकिन देशान्तर रेखाओं की लम्बाई भूमध्यरेखा की आधी होती है।
⇒ खोखला बेलनाकार कागज केवल विषुवत रेखा को स्पर्श करता है। इसलिए उस पर मापनी शुद्ध होती है।
⇒ सभी देशान्तर रेखाओं पर मापनी शुद्ध होती है।
⇒ इसमें ध्रुव भूमध्यरेखा के लम्बाई के बराबर प्रदर्शित किया जाता है।
⇒ भूमध्यरेखा से ध्रुव की ओर जाने पर अक्षांश वृत्तों की लम्बाई वास्तविक लम्बाई से बढ़ती जाती है।
⇒ सम्दूरस्थ बेलनाकार प्रक्षेप न तो यथाकृति और न ही समक्षेत्र का गुण होता है।
⇒ विषुवत रेखा के आस-पास क्षेत्रों को प्रदर्शित करने के लिए उपयोगी है अर्थात् इस पर विषुवतीय प्रतिरोधी जलधारा, विषुवतीय पछुवा हवा इत्यादि प्रदर्शित कर सकते है।
(ii) बेलनाकार समक्षेत्र प्रक्षेप (Cylindrical Equal Area Projection)
⇒ बेलनाकार समक्षेत्र प्रक्षेप को सर्वप्रथम लैम्बर्ट महोदय ने बनाया था। इसलिए इसे लैम्बर्ट या Equal Area Projection भी कहते हैं।
⇒ इसमें अक्षांश वृत्त सीधा एवं समान्तर रेखा के समान होता है।
⇒ सभी अक्षांश वृत की लम्बाई भूमध्यरेखा के लम्बाई के बराबर होता है। लेकिन भूमध्यरेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर अक्षांश रेखाओं के बीच की दूरी कम होते जाती है।
⇒ देशान्तर रेखाएँ सीधी, समान्तर और समान दूरी पर स्थित होती है।
⇒ इसमें भी ध्रुव को भूमध्यरेखा के लम्बाई के बराबर प्रदर्शित किया जाता है।
⇒ भूमध्यरेखा पर मापनी शुद्ध होती हैं लेकिन अक्षांश रेखाओं पर अशुद्ध होती है।
⇒ बेलनाकार समक्षेत्र प्रक्षेप में देशान्तर रेखाओं को पृथ्वी ध्रुवीय व्यास के बराबर बनायी जाती है। जिसके कारण देशान्तर रेखाओं के मापनी अशुद्ध हो जाते हैं।
⇒ विषुवत रेखा से ध्रुवा की ओर जाने पर आकृति विकृत होने लगता है।
⇒ इसका प्रयोग कभी-2 वितरण मानचित्र को प्रदर्शित करने में किया जाता है।
⇒ विषुवत रेखा से ध्रुव की ओर जाने पर आकृति विकृत होने के कारण इसे “Wrinkal Projection” भी कहते हैं।
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