26. अनुप्रस्थ काट (Cross Section)
26. अनुप्रस्थ काट (Cross Section)
अनुप्रस्थ काट
किसी समोच्च मानचित्र में अंकित किसी रेखा के सहारे त्रिमितीय धरातल का द्विमितीय (लम्बाई एवं ऊंचाई) पार्श्व चित्र ही अनुप्रस्थ काट (Cross Section) कहलाता है।
अनुप्रस्थ काट सामान्यतः निम्नलिखित विधियों से खींचें जाते हैं।
⇒ सीधी रेखा के सहारे (Along a Straight Line)-
(i) लम्ब डालकर, एवं
(ii) कागज की पट्टी विधि।
(i) लम्ब डालकर (By drawing perpendiculars):-
मानचित्र पर समोच्च रेखाएँ इस विधि द्वारा बनायी जाती है। समोच्च मानचित्र में एक AB रेखा को बाह्य सीमा के समानान्तर खीचा। मानचित्र के बाहर नीचे की ओर AB के समानान्तर एवं बराबर लम्बी CD रेखा खींच लें।
अब जितनी समोच्च रेखाओं को AB रेखा काटती है, उतनी ही लम्बवत् रेखाएँ नीचे की CD रेखा की ओर अनुकूल दूरी पर खींच लें। CD के दोनों ओर लम्ब डालकर उसे पेन्सिल से AB से मिला दें। अब इस लम्बवत् AC रेखा के निचले भाग के बाहर की ओर धरातल की प्रकृति के अनुसार एवं समोच्च रेखाओं के फैलाव या मान के अनुसार ऊँचाइयाँ अंकित कर CD के समानान्तर या आड़ी रेखाएँ खीच लें।
अतः वह रेखा जिसके सहारे अनुप्रस्थ काट का पार्श्व चित्र (Cross Section) खींचा जाता है, उसे अनुदैर्ध्य रेखा (Line of Profile) कहते हैं। AB रेखा समोच्च रेखाओं को जिन बिन्दुओं पर काटती हुई जाती है, उनसे CD की ओर कटी हुई रेखाओं की तरह लम्ब डालते हुए उन्हें सम्बन्धित ऊँचाई वाली आड़ी रेखा पर मिलाया।
इस विधि से जो बिन्दु मानचित्र के नीचे के रेखाचित्र पर आये, उन्हें एक गहरी रेखा द्वारा मिला दें। यही आकृति AB रेखा के सहारे आने वाली समोच्च आकृति का अनुप्रस्थ काट है। इसमें मानचित्र एवं अनुप्रस्थ काट दोनों ही की रेखाएँ समानान्तर एवं बराबर लम्बी होने से शुद्ध होगी। इससे आसानी से क्षैतिज और लम्बवत् दोनों ही मापनियों का अनुपात निश्चित किया जा सकता है। प्रायः लम्बवत् मापनी क्षैतिज मापनी से कई गुना अधिक होती है।
(ii) कागज की पट्टी विधि द्वारा (By Strip Mehtod):-
व्यवहार में समोच्च रेखाओं से बनी आकृतियों का अनुप्रस्थ काट प्रायः तिर्यक् या तिरछी रेखा खींचकर बनाना होता है। ऐसे मानचित्रों का अनुप्रस्थ काट यदि तिरछी रेखा पर ही लम्ब डालकर खींचा जायेगा तो वहाँ दूरी सिकुड़ जाने से पूर्णतः गलत होगा।
इसमें धरातल की समानुपातिक लम्बाई भी सही-सही नहीं बताई जा सकती। अतः ऐसी तिरछी या तिर्यक रेखा के सहारे आने वाले धरातल का सही अनुप्रस्थ काट खींचने के लिये एक मुड़ी हुई साफ कागज की पट्टी लेकर उसे चित्र (B) की भाँति तिर्यक रेखा के सहारे सटाते हुए इस प्रकार रखेंगे कि यह पट्टी पूरी रेखा पर आ जाय।
इस पट्टी को जिस ऊँचाई की समोच्च रेखा जहाँ-जहाँ पर छूती है, वहाँ-वहाँ पर छोटे-छोटे चिह्न पट्टी पर अंकित कर उन पर बीच-बीच में ऊँचाई लिख दी जाती है। चोटियों व सबसे निम्न भागों में सुविधा के लिए ढाल के अनुसार तीर खींच दें।
अब मानचित्र के बाहर सुविधाजनक स्थान पर कागज की पट्टी के दोनों पर्श्वीय बिन्दुओं की लम्बाई के बराबर सीधी रेखा खींचकर उसके दोनों किनारे पर लम्ब डाल दें। इन लम्बों पर 1″ या सुविधाजनक दूरी लेकर ऊँचाइयाँ अंकित करने हेतु तल रेखा के समानान्तर अन्य रेखाएँ खींच लें।
अब जिस पट्टी पर ऊँचाइयाँ अकित की गई है, उस कागज की पट्टी को पुनः तल रेखा पर रखकर उस पर अंकित चिह्नों की ऊँचाई के अनुसार ऊपर की ओर लम्ब खींचे। इन लम्बों के शीर्ष बिन्दुओं को जोड़ते हुए एक गहरी रेखा खींच लें, इस रेखा को खींचते समय शीर्ष और निम्न स्थल के पास लगे तीरों को ध्यान में रखना चाहिये। अतः यही तिर्यक रेखा के सहारे खींचा गया सही अनुप्रस्थ काट है। यहाँ इस आकृति की आधार रेखा की लम्बाई तिर्यक अनुदैर्ध्य रेखा के बराबर है।
⇒ लम्बवत् मापनी एवं लम्बवत् अभिवृद्धि (Vertical Scale and Vertical Exaggeration):-
समोच्च मानचित्र में धरातल जटिल बना रहता है, अतः इससे अनुप्रस्थ काट (Cross Section) बनाते समय लम्बवत् मापनी की ओर भी ध्यान रखा जाना चाहिये। क्षैतिज विस्तार एवं लम्बवत् अभिवृद्धि के बीच मापनी के आधार पर अन्तः सम्बन्ध रहता है। इसमें धरातल के स्वरूप- मैदान, पहाड़ी, पठार, पर्वत, आदि के ढाल को ध्यान में रखा जाता है।
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