Unique Geography Notes हिंदी में

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Environmental Geography (पर्यावरण भूगोल)

25. Bio-energy Cycle (जैव ऊर्जा चक्र)

Bio-energy Cycle

(जैव ऊर्जा चक्र)



         मानव सभ्यता के विकास में ऊर्जा का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। ऊर्जा ही वह आधार है जिसके सहारे समाज, उद्योग, कृषि तथा तकनीक का विकास संभव हुआ है। आज विश्व की बढ़ती जनसंख्या और औद्योगिकीकरण ने ऊर्जा की माँग को अत्यधिक बढ़ा दिया है। परंतु ऊर्जा स्रोतों में जीवाश्म ईंधनों (कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस) का अत्यधिक प्रयोग पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, ग्रीनहाउस प्रभाव तथा संसाधनों की तीव्र क्षय जैसी समस्याएँ उत्पन्न कर रहा है।

     ऐसे परिप्रेक्ष्य में नवीकरणीय (Renewable) एवं स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर मानव का ध्यान आकर्षित हुआ है। जैव ऊर्जा (Bioenergy) इन्हीं में से एक है, जो प्राकृतिक जैविक स्रोतों से प्राप्त होकर सतत विकास की दिशा में महत्त्वपूर्ण योगदान करती है।

      जैव ऊर्जा चक्र को समझने के लिए यह जानना आवश्यक है कि यह ऊर्जा प्रकृति में किस प्रकार उत्पन्न, संग्रहित, परिवर्तित और पुनः उपयोग होती है।

परिभाषा

    जैव ऊर्जा वह ऊर्जा है जो जीवित या हाल ही में जीवित रहे जैविक स्रोतों (Biomass) जैसे पौधे, पशु, कृषि अवशेष, वनों से प्राप्त अपशिष्ट, गोबर, समुद्री शैवाल आदि से प्राप्त होती है। यह ऊर्जा सौर विकिरण से उत्पन्न होती है और पौधों द्वारा प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) के माध्यम से रासायनिक ऊर्जा के रूप में संग्रहीत होती है।

जैव ऊर्जा चक्र की अवधारणा

    जैव ऊर्जा चक्र को एक प्राकृतिक चक्र के रूप में समझा जा सकता है, जिसमें निम्नलिखित चरण सम्मिलित हैं-

(i) सौर ऊर्जा का अवशोषण:-

⇒ सूर्य से आने वाली ऊर्जा पौधों की पत्तियों में क्लोरोफिल द्वारा अवशोषित होती है।

⇒ प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में यह ऊर्जा ग्लूकोज और अन्य कार्बोहाइड्रेट्स के रूप में संग्रहीत हो जाती है।

(ii) जैव द्रव्य (Biomass) का निर्माण:-

⇒ पौधे प्रकाश संश्लेषण से कार्बनिक पदार्थ (जैव द्रव्य) बनाते हैं।

⇒ यह जैव द्रव्य खाद्य श्रृंखला के माध्यम से शाकाहारी और मांसाहारी जीवों तक पहुँचता है।

(iii) ऊर्जा का उपभोग:-

⇒ जीवधारी भोजन के रूप में जैव द्रव्य का उपभोग करते हैं और श्वसन (Respiration) के द्वारा ऊर्जा प्राप्त करते हैं।

⇒ यह ऊर्जा उनकी शारीरिक क्रियाओं, वृद्धि और प्रजनन के लिए प्रयुक्त होती है।

(iv) अपशिष्ट एवं अपघटन:-

⇒ मृत जीव, पत्तियाँ, लकड़ी, गोबर, कृषि अवशेष आदि अपघटक जीवाणुओं और कवकों द्वारा अपघटित होते हैं।

⇒ अपघटन की इस प्रक्रिया में जैविक पदार्थ पुनः अकार्बनिक रूप (CO₂, H₂O, खनिज) में परिवर्तित हो जाता है।

(v) ऊर्जा पुनर्चक्रण (Recycling of Energy):-

⇒ अपघटन से उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड और खनिज पुनः पौधों द्वारा ग्रहण कर लिए जाते हैं।

⇒ इस प्रकार ऊर्जा का प्रवाह और चक्रण निरंतर चलता रहता है। जिसे निम्न चित्रात्मक रूपरेखा में देखा जा सकता है- 

जैव ऊर्जा चक्र – चित्रात्मक रूपरेखा (Flow Diagram)

☀️ सूर्य ऊर्जा
 ↓
पौधे (प्रकाश संश्लेषण)

जैव द्रव्य (Biomass)

उपभोक्ता (Energy Use)

मृत अवशेष / गोबर / अपशिष्ट

अपघटक (बैक्टीरिया, कवक)

CO₂ + H₂O + खनिज

पुनः पौधों द्वारा अवशोषण

♻️ सतत जैव ऊर्जा चक्र

Bio-energy Cycle

जैव ऊर्जा चक्र के प्रमुख स्रोत

⇒ कृषि अपशिष्ट- फसल अवशेष, भूसा, गन्ने की खोई, धान की भूसी।

⇒ वन संसाधन- लकड़ी, पत्तियाँ, झाड़-झंखाड़।

⇒ पशु अपशिष्ट- गोबर, पशु शव।

⇒ औद्योगिक अपशिष्ट- खाद्य उद्योग से निकलने वाला जैविक पदार्थ, चीनी मिलों का अपशिष्ट।

⇒ घरेलू अपशिष्ट- रसोई से निकलने वाला जैविक कचरा।

⇒ जल स्रोत- शैवाल (Algae), जलीय पौधे।

जैव ऊर्जा चक्र में ऊर्जा रूपांतरण की प्रक्रियाएँ

     जैव द्रव्य से ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न रूप हैं:

(i) प्रत्यक्ष दहन (Direct Combustion):-

⇒ लकड़ी, फसल अवशेष आदि को जलाकर ऊर्जा (ऊष्मा) प्राप्त की जाती है।

⇒ पारंपरिक रूप में ग्रामीण क्षेत्रों में यह सबसे सामान्य तरीका है।

(ii) जैव गैसीकरण (Biogasification):-

⇒ गोबर या अन्य अपशिष्ट से बायोगैस (मुख्यतः मिथेन) का निर्माण होता है।

⇒ यह गैस घरेलू ईंधन एवं बिजली उत्पादन के लिए प्रयोग होती है।

(iii) जैव ईंधन (Biofuels):-

⇒ गन्ने के शीरे से एथेनॉल, वनस्पति तेलों से बायोडीजल तैयार किया जाता है।

⇒ इनका उपयोग पेट्रोल और डीजल के विकल्प के रूप में होता है।

(iv) जैव विद्युत (Bio-electricity):-

⇒ बायोमास को थर्मल पावर प्लांट में जलाकर या बायोगैस से टरबाइन चलाकर विद्युत उत्पन्न की जाती है।

जैव ऊर्जा चक्र का पारिस्थितिक महत्व

(i) कार्बन चक्र में योगदान:-

⇒ पौधे CO₂ को अवशोषित कर जैव द्रव्य बनाते हैं और श्वसन/अपघटन से पुनः वायुमंडल में CO₂ लौटती है।

⇒ यह प्रक्रिया ग्रीनहाउस गैसों को संतुलित करने में सहायक है।

(ii) ऊर्जा प्रवाह:-

⇒ उत्पादक (पौधे) → उपभोक्ता (जीव) → अपघटक (बैक्टीरिया, कवक)।

⇒ ऊर्जा एक स्तर से दूसरे स्तर तक प्रवाहित होती है।

(iii) सतत विकास:-

⇒ जैव ऊर्जा अक्षय स्रोत है, क्योंकि इसे बार-बार पुनः उत्पन्न किया जा सकता है।

⇒ यह ग्रामीण आजीविका, पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करती है।

जैव ऊर्जा चक्र के लाभ

⇒ नवीकरणीय और सतत स्रोत।

⇒ अनुकूल पर्यावरण, कम कार्बन उत्सर्जन।

⇒ ग्रामीण विकास में सहायक- रोजगार सृजन, ऊर्जा आत्मनिर्भरता।

⇒ कचरे का प्रबंधन- कृषि एवं घरेलू अपशिष्ट का उपयोग।

⇒ ऊर्जा सुरक्षा- जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम।

जैव ऊर्जा चक्र की चुनौतियाँ

⇒ प्रौद्योगिकी की कमी- ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नत तकनीक की अनुपलब्धता।

⇒ प्रारंभिक लागत अधिक- बायोगैस संयंत्र, बायोफ्यूल संयंत्र आदि महंगे।

⇒ भूमि एवं संसाधनों पर दबाव- बड़े पैमाने पर बायोफ्यूल उत्पादन के लिए कृषि भूमि की आवश्यकता।

⇒ संग्रहण और भंडारण की कठिनाई।

⇒ जन-जागरूकता की कमी।

भारत में जैव ऊर्जा की स्थिति

       भारत कृषि प्रधान देश है, जहाँ प्रचुर मात्रा में कृषि एवं पशु अपशिष्ट उपलब्ध है।

⇒ बायोगैस कार्यक्रम- ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों परिवारिक बायोगैस संयंत्र स्थापित।

⇒ बायोफ्यूल नीति 2018- एथेनॉल मिश्रण को बढ़ावा, 20% इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य।

⇒ राष्ट्रीय बायो एनर्जी मिशन- बायोमास आधारित ऊर्जा परियोजनाओं को प्रोत्साहन।

⇒ हरित ऊर्जा गलियारा- जैव ऊर्जा को विद्युत ग्रिड से जोड़ने की योजना।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य

       विश्व स्तर पर यूरोप, अमेरिका, ब्राजील जैसे देश जैव ऊर्जा के उपयोग में अग्रणी हैं।

⇒ ब्राजील- एथेनॉल उत्पादन और इसके परिवहन में विश्व नेता।

⇒ यूरोप- बायोमास आधारित विद्युत उत्पादन।

⇒ अमेरिका- बायोफ्यूल रिसर्च एवं व्यावसायिक उपयोग में अग्रणी।

निष्कर्ष

     जैव ऊर्जा चक्र प्रकृति में ऊर्जा प्रवाह और पुनर्चक्रण का एक अद्भुत उदाहरण है। यह न केवल पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखता है, बल्कि मानव समाज को एक स्वच्छ, अक्षय और पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा विकल्प भी प्रदान करता है। आज ऊर्जा संकट और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों का सामना करने में जैव ऊर्जा चक्र अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

    सही नीतियों, तकनीकी विकास, जन-जागरूकता और अनुसंधान से जैव ऊर्जा को मुख्य धारा में लाया जा सकता है। इस प्रकार जैव ऊर्जा चक्र मानवता को ऊर्जा सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की दिशा में आगे ले जाने में सक्षम है।

I ‘Dr. Amar Kumar’ am working as an Assistant Professor in The Department Of Geography in PPU, Patna (Bihar) India. I want to help the students and study lovers across the world who face difficulties to gather the information and knowledge about Geography. I think my latest UNIQUE GEOGRAPHY NOTES are more useful for them and I publish all types of notes regularly.

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